हरियाणा स्थानीय निकायों में 1400 करोड़ का घोटाला? नहीं मिला खर्च का हिसाब; कमेटी ने नायब सरकार को भेजी रिपोर्ट

हरियाणा में 10 नगर निगमों सहित कुल 62 स्थानीय निकायों में विकास कार्यों के लिए अग्रिम लिए गए करीब 1400 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिल रहा है। विधानसभा कमेटी ने वर्ष 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए घोटाले की आशंका जताई है। साथ ही सरकार से पांच साल पहले हुईं वित्तीय अनियमितताओं की जांच कराने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है।
जिन नगर निगमों में विकास कार्यों के लिए जारी अग्रिम राशि के दुरुपयोग की आशंका है, उनमें गुरुग्राम, सोनीपत, हिसार, पंचकूला, पानीपत, यमुनानगर, रोहतक, करनाल, फरीदाबाद और अंबाला शामिल हैं। इनमें से पंचकूला को छोड़कर सभी निगमों के आम चुनाव हाल ही में हुए हैं। सभी मेयरों, नगर पालिका और परिषद अध्यक्षों और वार्ड सदस्यों को आज मंगलवार को पंचकूला में आयोजित कार्यक्रम में शपथ दिलाई जाएगी।
विकास कार्य के लिए पहले दी गई थी राशि
दरअसल, स्थानीय निकायों में कई विकास कार्य ऐसे होते हैं, जिन्हें तुरंत कराना जरूरी होता है। इन कार्यों के लिए विकास राशि पहले जारी कर दी जाती है और फिर काम पूरा होने के बाद संबंधित अधिकारी खर्च का हिसाब संबंधित निकाय की लेखा शाखा को भेज देते हैं।
हाल ही में विधानसभा की शहरी स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्था की कमेटी के आगे ऑडिट रिपोर्ट रखी गई तो वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं। नियमानुसार निकायों में होने वाले खर्च का इंटरनल ऑडिट होता है।
आपत्तियों को दूर करने के लिए अधिकारियों को भेजा जाता है, जिसके बाद एडवांस लेने वाला अधिकारी सबूत जमा कराता है। संबंधित अधिकारियों को यह रिपोर्ट भी भेजी गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इस वजह से यह रकम अभी भी ऑडिट रिपोर्ट में अनएडजस्टेड एडवांस के तौर पर दिख रही है।
सबसे ज्यादा फरीदाबाद और गुरुग्राम में अनियमितताएं
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक कुल 1396 करोड़ रुपये के एडवांस का हिसाब नहीं मिला है। इनमें सबसे ज्यादा फरीदाबाद नगर निगम में 782 करोड़ रुपये और गुरुग्राम नगर निगम में 404 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का रिकॉर्ड नहीं मिल पा रहा।
विधानसभा डिप्टी स्पीकर कृष्ण मिढा की अगुआई वाली विधानसभा कमेटी ने सरकार को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि 62 निकायों में इतनी बड़ी राशि को खर्च करने का कोई रिकॉर्ड ही मौजूद नहीं है। इसमें बड़ा घोटाला नजर आता है। बड़ी संख्या में ऑडिट ऑब्जेक्शन पेंडिंग हैं, जिनमें प्रापर्टी टैक्स और एनओसी शामिल हैं।
इस बारे में अधिकारियों से पहले भी जानकारी मांगी गई थी, लेकिन आपत्तियों को दूर नहीं किया गया। इनका टाइम बाउंड निपटारा होना चाहिए। ऐसा न करने पर मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की जा सकती है।