नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र के किसानों को धान की सीधी बिजाई (डीएसआर) के लिए करेंगे जागरूक – पूर्व विधायक डॉ. पवन सैनी

नारायणगढ़/अम्बाला, 13 मई। पूर्व विधायक डॉ. पवन सैनी की अध्यक्षता में आज उप-मंडल कृषि अधिकारी कार्यालय, नारायणगढ़ में धान की सीधी बिजाई (डीएसआर) पद्धति को लेकर एक महत्वपूर्ण किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपमंडल कृषि अधिकारी नरेश कुमार, नारायणगढ़ और शहजादपुर के खंड कृषि अधिकारी, जिला के नोडल अधिकारी सहित बड़ी संख्या में प्रगतिशील किसान उपस्थित रहे।
गोष्ठी में डॉ. पवन सैनी ने धान की सीधी बिजाई (डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस) की तकनीक, इसके लाभ और अपनाने की प्रक्रिया पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होने बताया कि पारंपरिक रोपाई के मुकाबले डीएसआर तकनीक से पानी की बचत, श्रम में कमी और उत्पादन में वृद्धि संभव है।
डॉ. पवन सैनी ने किसानों से आह्वान किया कि वे जीरी (धान) की पारंपरिक रोपाई के स्थान पर डीएसआर तकनीक को अपनाएं, जिससे न केवल खेती की लागत घटेगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान मिलेगा। उन्होंने कहा कि जो किसान डीएसआर से धान की सीधी बिजाई करेगें उन्हेें सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि सीएम श्री नायब सिंह सैनी का भी यह प्रयास है कि किसान अधिक से अधिक क्षेत्र में डीएसआर विधि से धान की बिजाई करें। उन्होंने कहा कि उपमण्डल नारायणगढ़ में कृषि विभाग के 12 कलस्टर है जिनमें एक-एक प्रभारी अधिकारी/कर्मचारी लगाया गया है और वे सभी कलस्टर में स्वयं जाकर किसानों को डीएसआर विधि के प्रति जागरूक करेगें।
उन्होंने कहा कि प्रगतिशील किसानों से बातचीत के उपरांत इस बार नारायणगढ़ एवं शहजादपुर ब्लॉक में डीएसआर से धान की बिजाई करने का लक्ष्य 600 एकड़ का रखा गया है। जबकि कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार पिछले साल यह आंकड़ा 500 एकड़ का था, जिसमें डीएसआर से धान की बिजाई की गई थी।
इस अवसर पर उपस्थित अधिकारियों ने सरकार की ओर से मिलने वाली तकनीकी सहायता और अनुदानों की जानकारी भी दी और किसानों के सवालों का समाधान किया। गोष्ठी में किसानों को डीएसआर पद्धति से खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
डॉ. पवन सैनी ने कहा कि इस विधि से बुआई करने पर कम खर्च और कम पानी में अच्छी पैदावार की जा सकती है। किसान धान की खेती सीधी बुवाई विधि (डीएसआर) से करनी चाहिए। इन दिनों खेती करने के लिए मजदूरों के साथ साथ पानी की भी बहुत जरूरत होती है। ट्रैक्टर या अन्य मशीनरी में डीजल की भी बड़ी खपत होती है और हमारा वातावरण भी प्रभावित हो सकता है, तो ऐसे में डीएसआर विधि को अपनाए, जिसमें कम खर्च में ज्यादा फायदा, कम पानी में ज्यादा उपज कर सकते हैं।
क्या है डीएसआर विधि-
डीएसआर का फुल फॉर्म डायरेक्ट सीडेड राइस है, यानी धान की सीधी बुआई विधि, इस विधि में परंपरागत विधि से बुआई की बजाय किसान सीड ड्रिल से सीधी बुआई करते हैं, परंपरागत विधि में पहले बेड बोते हैं, फिर 25 दिन बाद नर्सरी तैयार होने के बाद मजदूर धान की फसल को उखाडक़र दोबारा खेतों में लगाते हैं, डीएसआर से सीधे बुआई कर फसल उगाते हैं, परंपरागत विधि में इस विधि की अपेक्षा दो गुना से भी अधिक खर्च होता है, क्योंकि उसमें पहले खेतो में धान की फसल लगाने के लिए खेत को बराबर करना, लगातार पानी लगाना, पलेवा करना, फिर धान की बुआई, जबकि डीएसआर में केवल नमी यानी पानी की कम मात्रा में भी फसल का अच्छा उत्पादन कर सकते है।
इस अवसर पर कृषि विभाग के एसडीओं नरेश कुमार ने कहा कि गत वर्ष 500 एकड़ में डीएसआर विधि से धान की बिजाई की गई थी। कृषि विशेषज्ञों द्वारा किसान गोष्ठी में किसानों को डीएसआर विधि के अन्तर्गत बिजाई से लेकर फसल कटाई तक की जाने वाली कृषि पद्धतियों के बारे में जानकारी दी गई।



