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Haryana Cabinet: दो लाख छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत , ढाई हजार करोड़ का कर्ज माफ, लाडो लक्ष्मी योजना के लिए लाएंगे बज।।।।

कैबिनेट में  हरियाणा क्लीन एयर प्रोजेक्ट के डीपीआर को मंजूरी दे दी गई है। प्रोजेक्ट पर लगभग 3647 करोड़ रुपये खर्च होंगे। आगामी 6 वर्षों में हरियाणा प्रदूषण मुक्त होगा।

हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में मंगलवार को छोटे व्यापारियों, गंभीर रोग से पीड़ित मरीजों को बड़ी राहत दी गई है। सैनी सरकार ने जीएसटी से पहले बकाया कर को वसूलने और इसका भुगतान नहीं कर पाने की वजह से मुकदमेबाजी में फंसे छोटे व्यापारियों को राहत देने के लिए हरियाणा एकमुश्त निपटना योजना-2025 को मंजूरी दे दी है। इस फैसले से सरकार को बकाया देनदारी हासिल करने का मौका मिलेगा, वहीं व्यापारी का ब्याज व जुर्माना माफ होगा और मुकदमेबाजी का बोझ कम होगा। इस योजना से करीब दो लाख कारोबारियों को करीब ढाई हजार करोड़ की राहत मिलेगी। वहीं, मंत्रिमंडल ने दिव्यांग पेंशन की श्रेणी में दस और गंभीर रोग को जोड़ा है। इससे करीब 32 हजार मरीजों को सामान्य दिव्यांग की तर्ज पर तीन हजार रुपये पेंशन मिल सकेगी। सरकार ने हीमोफीलिया व थैलेसीमिया से पीड़ित रोगियों को वित्तीय सहायता का लाभ हासिल करने के लिए तय आयु सीमा को समाप्त करने का फैसला किया है। वर्तमान में वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए न्यूनतम आय 18 साल तय कर रखी थी।

मंत्रिमंडल की बैठक में सीएम नायब सिंह सैनी ने भाजपा के संकल्प पत्र में किए गए वादे हरियाणा एकमुश्त निपटान योजना 2025 को मंजूरी दी। इसके मुताबिक जीएसटी से पहले लागू सात अधिनियमों के तहत बकाया कर वसूलने के लिए सरकार ने योजना में दो श्रेणियों का एलान किया है। इसके तहत किसी एक अधिनियम के तहत 10 लाख रुपये तक की बकाया देनदारियों वाले करदाताओं को एक लाख रुपये तक की रियायत दी जाएगी। साथ ही, शेष मूल कर राशि का 60 प्रतिशत भी माफ किया जाएगा। बकाया राशि का सिर्फ 40 फीसदी ही अदा करना होगा। वहीं, दस लाख रुपये से अधिक और 10 करोड़ रुपये तक की बकाया देनदारियों वाले करदाताओं को भी उनकी कर राशि पर 50 प्रतिशत की रियायत मिलेगी। यानी 50 फीसदी ही अदा करना होगा। साथ ही मूल राशि दो किस्तों में चुकाने की अनुमति होगी। इस योजना का लाभ उठाने वाले सभी करदाताओं की ब्याज और जुर्माना राशि पूरी तरह से माफ कर दी जाएगी। यह योजना 120 दिनों के लिए खुली रहेगी।

हरियाणा मूल्य वर्धित कर अधिनियम 2003, केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम 1956, हरियाणा स्थानीय क्षेत्र विकास कर अधिनियम 2000, स्थानीय क्षेत्रों में वस्तुओं के प्रवेश पर हरियाणा कर अधिनियम 2008, हरियाणा विलासिता कर अधिनियम 2007, पंजाब मनोरंजन शुल्क अधिनियम, 1955, हरियाणा सामान्य बिक्री कर अधिनियम, 1973

दस गंभीर बीमारियों वाले मरीजों को मिलेगी पेंशन

मंत्रिमंडल ने दस गंभीर रोग से पीड़ित मरीजों को बड़ी राहत दी है। इसके लिए सरकार ने इन मरीजों को दिव्यांग पेंशन की श्रेणी में जोड़ दिया है। बैठक में हरियाणा दिव्यांग पेंशन नियम 2016 में संशोधन को मंजूरी दे दी है। हरियाणा में अभी तक 11 श्रेणियों में दिव्यांग पेंशन का लाभ दिया जा रहा था। जिन रोग को दिव्यांग श्रेणी में जोड़ा गया है, उनमें सेरेब्रल पाल्सी, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, वाक और भाषा दिव्यांगता, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, पार्किंसन, सिकल सेल रोग, मल्टीपल डिसेबिलिटी, स्पेस्पिक लर्निंग डिसीज, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिजीज व क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन रोग शामिल है। अब इससे पीड़ित मरीजों को दिव्यांग पेंशन के रूप में प्रति माह तीन हजार रुपये दिए जाएंगे। इस फैसले से 32,000 मरीजों को फायदा होगा। यूडीआईडी पोर्टल के अनुसार वर्तमान में हरियाणा में 2,08,071 लाभार्थियों को दिव्यांग पेंशन के रूप में 3 हजार रुपये प्रति माह प्रदान किए जाता है।

हीमोफीलिया व थैलेसीमिया मरीजों को वित्तीय लाभ प्राप्त करने में आयु सीमा समाप्त

मंत्रिमंडल ने हीमोफीलिया और थैलेसीमिया से पीड़ित रोगियों के मामले में वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए आयु सीमा की शर्त को समाप्त कर दिया है। मौजूदा समय में हीमोफीलिया और थैलेसीमिया से पीड़ित रोगियों को वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए आयु सीमा न्यूनतम 18 साल है। अब किसी उम्र का व्यक्ति वित्तीय लाभ हासिल कर सकेगा। हरियाणा सरकार इन मरीजों को तीन हजार रुपये हर महीने देती है। साथ ही, यह भी निर्णय लिया गया कि हीमोफीलिया, थैलेसीमिया व सिकल सेल एनेमिया को मिलने वाली वित्तीय सहायता पहले से प्राप्त किसी भी अन्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन के अतिरिक्त होगी।

जजों की विभागीय परीक्षा एजेंसी लेगी

मंत्रिमंडल की बैठक में पंजाब सिविल सेवा ( न्यायिक शाखा ) नियम में सिविल न्यायाधीशों की विभागीय परीक्षा के संबंध में संशोधन किया गया है। इसके तहत विभागीय परीक्षा उच्च न्यायालय या मुख्य न्यायाधीश की ओर से नामित एजेंसी या प्राधिकरण की ओर से आयोजित की जाएगी। पहले के प्रावधानों के अनुसार उक्त विभागीय परीक्षा केंद्रीय परीक्षा समिति की ओर से आयोजित की जाती थी और सभी नवनियुक्त सिविल न्यायाधीशों को इस परीक्षा को पास करना जरूरी होता है।

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